Kahani – Kamla Girls Hostel by – vishal maurya (vishu)

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       Source – internet 
मैंने उसको पहली बार देखा था वो भी बारिश में भीगते हुए. एक तो चांद सा चेहरा और ऊपर से भीगी-भीगी जुल्फें. साला इश्क़ होना तो एक दम जायज़ था. उस वक्त हम पास वाले बियर के ठेके पर बैठकर देश की चिन्ताजनक स्थिति पर चर्चा कर रहे थे. अभी-अभी बस से उतर कर वो रिक्शे का इंतजार कर रही थी. किताब पढ़ने के लिए हम लौंडों को भले चश्मे की जरूरत पड़ सकती है. मगर ऐसे खूबसूरत नजारे तो मोतियाबिंद वाली आंख से देख लेते हैं. हमारी भी नजर पहुंच गई थी एक दम सही टाइम पर, एक दम सही जगह पर.
“अबे शुक्ला…” कोई जबाव नहीं…नशे में सुनने की बजाय सुनाना ज्यादा अच्छा लगता है
“अबे साले शुक्ला… सुनाई नहीं देता का बे?”
“अरे हां भाई का कह रहे हो?”
“सुनो साले, वो देखो तुम्हारी भाभी खड़ी है.”
“लेकिन यार तुमने तो कभी पहले नहीं बताया कि मेरी कोई भाभी भी है. हमको झूठी तसल्ली देते थे कि तुम सिंगल हो. 
“शुक्ला यार तुम एक दम घोंचू हो. अबे हम खुद ही पहली बार देख रहे हैं तो तुमको कैसे बताते इनके बारे में.”
“और तुम साले बियर कम सिगरेट ज्यादा ही सुलगा रहे हो. लाओ इधर भी दो एक गोल्ड फ्लैक.”
“और देखो इस बार मौका नहीं मिस करना है.”
“साला इस बार सचमुच के प्यार हो गया है.”
“आओ देखते हैं हो सके बात करने का कोई बहाना मिल जाए.”
“देखो बात अभी ना हो पाये तो कोई बात नहीं बाद में हो जायेगी, लेकिन बस लड़की के हॉस्टल के पता कर लो आज. शुक्ला जी ने बीरबल की तरह मुझे सुझाव दिया.”
“अरे शुक्ला तुम ही तो एक भाई हो, मान गये यार.”
“लड़की जैसे ही रिक्शे पर बैठकर आगे बढ़ी.”
तुरंत दूसरे रिक्शे वाले से कहा. “भईया ले चलो हमें भी.”
रिक्शावाला पूछ बैठा. “अरे लेकिन जाना कहां हैं. बस इस आगे वाले रिक्शे के पीछे पीछे ले चलो.”
रिक्शावाला मुस्कुराते हुए “समझ गइनी भईया.”
कुछ देर बाद वो लड़की रिक्शे से उतर कर चुपचाप चली गई, उस बिल्डिंग में. जिस पर टंगे एक फ्लैक्स पर मोटे अक्षरों में लिखा था. “कमला गर्ल्स हॉस्टल”.
शुक्ला ने फिर बीरबल की तरह समझाया, “देखो बेटा अबकी पास होना है लवलैटिस के इक्जाम में तो यहां अपनी अटेंडेंस शार्ट मत होने देना.”
“इक बात कहें शुक्ला, यार हम लोग भी इधर ही अगल-बगल कहीं शिफ्ट हो जाते हैं. वैसे भी देखते ही हो, वो साला मकान मालिक किराये के लिए कितना गच कर देता है. कितना गरियाया था तुमको, जब तुम कमला पसंद खाकर थूक दिए थे सीढियों पर.”
शुक्ला सहमति जताते हुए कहा “हां बे सही कह रहे, हमें भी कहीं नजर भिड़ाने का मौका मिल जाये इधर.”
हम दोनों ने अगली सुबह ऐसा कमरा ले लिया, जिसकी खिड़की से हॉस्टल की छत बड़ी आसानी से नजर आती थी.
लंबे अंतराल के बाद बारिश बंद हुई थी. हम चाय बनाने में लगे थे. और शुक्ला जी छत से नजर की पतंगे उड़ाने में. तभी शुक्ला जी ने आवाज़ दी “अबे भाई इधर आ जल्दी. भाभी छत पर आई है.”
चाय की किसे परवाह, हम भी किचन से बाहर चले आए. लेकिन साला किस्मत ऐसी कि वो अंदर चली गई थी, मेरे आने से पहले. कुछ लड़कियां थीं, जो नये वाले स्टाइल में होंठ घुमाकर सेल्फी लेने में व्यस्त थी और शुक्ला उनमें. इधर अब चाय भी गिर चुकी थी, आधी बची हुई चाय में ही काम चलाना पड़ा. रात को नींद भी आ रही थी हालांकि इसका फायदा ये हुआ कि जो पीपीटी और असाइनमेंट अभी तक पूरे नहीं हो सके थे वो पूरे हो गए. सुबह-सुबह जैसे आंख खुली तो देखा कि वो छत पर कपड़े डाल रही थी. अपना बेड मैंने खिड़की से एक दम सटाकर लगाया था. जल्दी-जल्दी बाल सही करके मैं बालकनी में बैठकर पेपर पढ़ने लगा. सही कहे तो पेपर नहीं वो चेहरा पढ़ने में लगे थे. कोई रिस्पांस नहीं आया तो चुपचाप चले आये कमरे में, उसके जाने के बाद.
बड़ा दिमाग भिड़ाने के बाद सोचा कि आज हम लोग छत से पतंग उड़ाकर, कमला गर्ल्स हॉस्टल की छत पर गिराने की कोशिश करेंगे. सफल भी हो गये हम अपने प्लान में. अब हम दोनों ही नीचे बालकनी में आकर इंतजार करने लगे कि वो लड़की छत पर आए तो कुछ बात की जाए, पतंग मांगने के बहाने. आधे घंटे तो ऐसे ही देखते-देखते बीत गये. तभी शुक्ला बोला, अबे साले तुम तो पूरा अति मचा रखे हो, कोई जरूरी है कि वही लड़की आयेगी छत पर पहले.
यार तुम शुक्ला हौसला नहीं बढ़ा सकते, साले तुमको हर तरफ़ अंधेरा ही अंधेरा काहे दिखता है. हम तुमको झूठे में बीरबल समझते हैं तुम ना कभी-कभी पप्पू से भी बड़ा वाला पप्पू लगते हो. इतने में सामने वो चेहरा अइसे प्रकट हुआ, जैसे बादलों में चांद निकलता है.
मैंने धीरे से आवाज लगाई सुनिए, मेरी पतंग गिर गई है आपके छत पर. अगर वापस कर दे तो बहुत मेहरबानी होगी. उधर से बड़ी मीठी आवाज में जबाव आया, लेकिन यहां से वापस कैसे जायेगा. मैंने कहा अरे नीचे साइबर कैफे की दुकान पर आके दे दीजिए. उधर से आवाज़ आई अच्छा ठीक है. कैफे की दुकान पर मैं लाईट की स्पीड से भी अधिक तेजी पहुंच गया. इंजीनियरिंग के लौंडे बस कॉलेज जाने में ही लेट करते हैं, बाकी कोई लड़की बुलाए तो टाइम से पहले ही पहुंच जाएंगे. ये यूनिवर्सल ट्रुथ है.
धीरे-धीरे कदमों से वो पास आई,
कहा 
ये लीजिए अपनी पतंग.”
मैंने थैंक्स बोला तो मुस्कुराते हुए बोली, “पतंग पहली बार उड़ा रहे थे या जानबूझकर छत पर गिरा दी थी.”
मैंने कहा “अरे नहीं ऐसी कोई बात नहीं वो किसी ने मेरी पतंग काट दी थी.”
“वैसे आपका नाम क्या है?”
“शिखा”
“बेहद खूबसूरत नाम है.”
उसने थैंक्स बोलते हुए कहा कि “मुझे भी पतंग उड़ाने का बहुत शौक हैं. घर पर मैं और मेरा छोटा भाई खूब पतंगबाजी करते हैं.”
मैंने तपाक से पूछा, “कहां की रहने वाली हैं आप?”
“लखनऊ से हूं मैं और आप” धीमी सी आवाज़ में बोली.
“मैं तो गोरखपुर से हूं.”
“अच्छा ठीक है मैं चलती हूं नहीं तो वार्डेन सवाल-जवाब करने लगेगा.”
“बाय.”
“बहुत अच्छा लगा तुमसे मिलकर शिखा बाय.”
मैं उछलते हुए छत पर पहुंच गया. शुक्ला ऐसे बैठा था जैसे कि वह मेरा ही इंतजार कर रहा है. वो कुछ कहें उससे पहले ही मैं बोला. “यार शुक्ला तुम्हें कभी चांद से मिलने की ख्वाहिश हुई है.”
“हां कई बार बचपन में हुई थी. वैसे बात क्या है.”
“यही समझ लो कि आज हम उस चांद से मिल भी लिए, और बातें भी कर लिए.”
“साला अब समझ में आ गया ये शायर लोग इतने खोये-खोये से क्यों रहते हैं.”
शुक्ला मेरी तरफ देखते हुए बोला भाई आज तो पार्टी बनती हैं. ठीक है सुनो आज खाना आर्डर देके मंगा लो, जो तुम्हे पसंद हो. हमको तो आज भूख भी नहीं लग रही थीं. रिपीट मोड में जा-जा कर शिखा की बातें सुन रहा था. रात भर सपने वही प्यार कभी शिखा को मैं गुलाब के फूल दे रहा, कभी वो मुझे दे रही. ये समझ लिजिए पूरी रात गुलाबों से महकती रहीं. बालकनी में बैठकर ही इशारों में बातें कर लेते मैं और शिखा. बातें नार्मल हो तो आसानी से हो भी जाती हैं. धीरे-धीरे अच्छे दोस्त बन गए थे हम दोनों. बाहर कम ही मिल पाते थे, साला ये हास्टल का वार्डेन विलेन की तरह था मेरी लव स्टोरी में. लेकिन शाम की चाय अक्सर हम मुन्ना की दुकान पर साथ ही पीते थे. एक दिन चाय पीने के बाद लौट ही रहे थे बारिश शुरू हो गई. मैंने कहा शिखा आओ कुछ देर यहां दुकान पर रूक जाते हैं, बारिश जब रुके फिर चलेंगे, पर शिखा तो जीना चाहती थी खुलकर इस खूबसूरत मौसम को, मुझे भी बाहर खींच लाई हाथ पकड़कर. सच बता दें तो पूरा करेन्ट दौड़ गया दिल दिमाग हर तरफ.
दिल में एक आग लगी थी और ऊपर से ये बारिश. तभी हमको राजेश खन्ना साहब की फिल्म का गाना “दिल में आग लगाये सावन का महीना, नहीं जीना, नहीं जीना तेरे बिन नहीं जीना” जिसे रट्टा मार लिया था केमेस्ट्री के रिएक्शन की तरह. अब मुझे इसका मैकेनिज्म पूरा समझ में आ रहा था.
भीगते-भीगते ही हम पार्क में जाकर बैठ गए. खूब भीग रही थी वो बारिशों में और मैं उसमें भींग रहा था. मैंने धीरे से कहा शिखा एक बात कहनी है तुमसे.
शिखा बोली अरे बोलो तो मैं सुन रही हूं. मैं न तुमसे बहुत प्यार करता हूं… “आई लव यू ”
अरे तुम भी ना मै ही मिली थी क्या मजाक करने के लिए, शिखा हंसते हुए बोली.
मैं मजाक नहीं कर रहा, ये हकीकत है.
लेकिन..न.. ये बोलकर शिखा चुप हो गई.
बोलो शिखा अगर कोई बात हो तो मैं तुम्हारा दोस्त हूं.
यार मुझे ये प्यार-व्यार के चक्कर में नहीं पड़ना. हम तुम दोस्त ही सही है.
ऐसा लगा कि पूरी साल मैथमेटिक्स पढ़ने के बाद परीक्षा हाल में बायोलॉजी का पेपर मिला है सॉल्व करने के लिए. बिना पढ़े सेमेस्टर में बैक आये तो तकलीफ नहीं होती, लेकिन पढने के बाद भी अगर बैक आए, वो तकलीफ बैचलर ही समझ सकता है. बड़े उदास दिल से हमने बाय कहा और रूम पर जाने की बजाय सीधे ठेके पर जाकर रूके. आंखों से आंसू भी आ रहे थे लेकिन बारिशों में कहां पता चलता है. उस दिन की रात तो कट ही नहीं रही थी, लग रहा था फिर सुबह ही नहीं होगा. हम पूरा देवदास वाले किरदार में आ गए थे. जान एलिया वो एक शेर जो हर जगह मेरा स्टेटस बन गयी थी.
“अब मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता
एक ही शख्स हैं जहान में क्या “
बहुत पसंद आ रही थी मुझे, क्योंकि मुझे इसमें अपना किरदार मिल जाता था और दिल को सुकून. एक दिन अचानक शिखा दिखाई दी वो भी किसी लौंडे के साथ बाइक पर पीछे बैठी हुई थी. उसने भी देख लिया था मुझे. मन ही मन समझ लिया कि बस उस दिन के इनकार की वजह क्या हैं. साला जिसको पसंद करो अगर वो तुम्हारे सामने किसी के साथ बाइक जाती दिखे तो दिल पर क्या बीतती है. ये शब्दों में नहीं कह सकते. शुक्ला को हमारी बहुते चिन्ता होने लगी थी. अगले दिन शिखा जब उसको मिली तो सीधे बोल दिया
“देखो… उसको न पागल कर दी हो तुम, बहुते मस्तमौला था मेरा यार. अब देखो तो दिन भर शेरो-शायरी और डला रहता है रूम में. तुमको उसके जइसा आशिक कभी नहीं मिलेगा. इक बात जान लो तुम. और हम जा रहे हैं रूम छोड़कर. काहे की तुमको जब भी देख लेता है वो ना संभालना बड़ा मुश्किल हो जाता है.”
शिखा शायद कुछ भी नहीं बोल पाई थी. उसे यहीं लग रहा था कि उस दिन आकाश के साथ वो बाईक पर बैठकर घूम रही थी, तो मैंने इस बात का बुरा समझ लिया है, वैसे आकाश सिर्फ़ दोस्त ही था शिखा का, लेकिन मुझे क्या पता?
शुक्ला ये सब मुझे बताए बगैर ही शिखा को सुना आया था. बाद में उसने मुझे बताया था इसके बारे में.
शुक्ला क्या जरूरत थी ये सब उससे कहने की, उसकी अपनी जिन्दगी है, क्या हक है कि मैं दखल दूं उसकी जिंदगी में.
मै थोड़ा नाराज होकर बोला.
शुक्ला चुपचाप रहा कुछ देर, फिर कहा छोड़ भाई जो हुआ उस पर कैसी बहस करनी. चल शाम को रूम भी शिफ्ट करना है, और सुन अब मन से पढ़ाई पर ध्यान देना है. ये प्यार-व्यार का चक्कर न बहुते खराब है यार.
शिखा सच में सोचने पर मजबूर हो गई थी शुक्ला की बातें सुनकर. यू कह लें की शुक्ला ने हवा दे दिया था इश्क़ की आग को. शिखा हमसे मिलना चाहती थी. पर हमने वो ठिकाना ही छोड़ दिया था.
इधर हम शिखा को भूलने की कोशिश मे लगे थे और शिखा हमें ढूंढने में, लेकिन भूलते कैसे वो कोई सेलेबस का सब्जेक्ट थोड़े ही थी और ना हमने उसको रट्टा लगाया था. उसे तो हमने समझा था जैसे कोई बच्चा क ख ग घ से पढ़ाई शुरू करके पूरी हिन्दी समझता है.
रविवार था उस दिन जैसे ही हमारी आंखें खुली शुक्ला मेरे पास आकर बोला भाई एक बात बताऊं. शुक्ला अक्सर मुझसे पहले ही उठ जाता था. मैंने कहा बताओं यार. उसने कहा पहलें ये बताओ पार्टी दोगे ना. खबर ऐसी हैं कि तुम सुनकर उछल पड़ोगे. अबे ठीक है ले लियो पार्टी ये तो बताओ कि बात क्या है. भाई ये पढ़ लो मुझे कुछ कहने की जरूरत नहीं है. उस कागज पर बड़े अच्छरो में ‘सॉरी’ और ‘आई लव यू’ लिखा था, लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण ये कि नीचे ‘तुम्हारी शिखा’ लिखा था.
मैंने कहा भाई शुक्ला मजाक मत करो. शुक्ला ने कहा भाई कमला गर्ल्स हॉस्टल अब अपने सामने शिफ्ट हो गया है. मैंने कहा अबे साले होश में हो कि नहीं. उसने कहा भाई भाभी ने सामने वाला रूम ले लिया है. उन्होंने ने ही ये लेटर भेजा है. यकीन नहीं तो बालकनी से देख लो. मैं जैसे कमरे से बाहर बालकनी में गया शिखा चुपचाप बाहर खड़ी थी जैसे उसे मेरा ही इंतजार था. मुझे इस बात का यकीन हो गया था कि अब कमला गर्ल्स हॉस्टल मेरे सामने आ गया था. क्योंकि कमला गर्ल्स हॉस्टल का मतलब मेरे लिए सिर्फ शिखा थी.
Source – Thelallantop.com
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Founded in 2015, Namaste Dehradun is an Individual Website About Uttarakhand to promote the Culture, Tourism and social life of Uttarakhand. We want provide information about the addictive beauty of the state and, different spots of uttarakhand.

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