यही होली के दिन थे!
सुबह से शाम वो बालकनी में खड़ा रहता है और बस “उसका” इंतज़ार करता रहता था। वो भी जानती थी के लड़का वही खड़ा होगा। ये वाकया तो अब रोज़ का था। कभी कभी जब लड़का वहां न दिखता तो लड़की भी धीरे धीरे अपने बरामदे में टहलते हुए सामने वाले मकान में देखा करती। वो दोनों ही एक दूसरे से नज़रो ही नज़रों में बात किया करते थे पर एक दूसरे से बोलने की हिम्मत किसी में न थी।
लड़का जब भी उसे देखता बस देखता ही रहता और जैसे ही लड़की उसकी तरफ चेहरा करती वो झट से दूसरी तरफ देखने लगता (प्रेम के हर दौर में ये घटना आम है।) और यही हाल उधर का भी होता। कभी वो शर्त लगाता के 10 तक गिनते ही वो आजायेगी और जब वो इत्तेफ़ाकन वो आजाती तो लड़का सोचता यही “सच्चा प्यार” है(भगवान भी साथ हैं, हा हा हा) खैर प्रेम में डूबा व्यक्ति हर संकेत को positively ही लेता है।
सुबह उठते ही वो तैयार हो जाता था उसे मालूम था के वो 6:40 पे ही निकलेगी। सुबह सुबह बालों में पानी लगाये, कंघी करके, हीरो बनके अपने गेट पे खड़ा रहता। वो भी जानती थी के वो स्कूल तक पैदल छोड़ने जरूर आएगा, स्कूल के अंदर जाते वक़्त वो पलट के देखती और हलकी सी मुस्कुरा देती.. लड़के के लिए मानो वो “मुस्कान” सिगनल का काम करती smile emoticon । समय बीतता गया और एक दूसरे के लिए अंदर ही अंदर भावनायें बढ़ती गयी।
होली का दिन था सुबह से ही गली में रौनक थी। रोज़ की तरह उस दिन भी वो वहीँ बालकनी पे खड़ा था.. इतने में नीचे से आवाज़ आई “अमां तुम ऊप्पर का कर रहे हो नीचे आओ” (साले मोहल्ले के लौंडे आगये थे unsure emoticon ) मन दबा के लड़के को नीचे जाना पड़ा। नीचे एकदम भोजपूरी देसी गाने फुल वॉल्यूम ने धका-धक् बज़ रहे थे। छोटू, नॉन, हिमांशू समेत मोहल्ले के सारे कुच्ची पुच्ची गेदाहरों का नाचना चालू था। डांसिंग टोली में उसका भाई भी था और उसको देखने के लिए वो भी छत पे आई थी। आज अच्छा मौका था उसको इम्प्रेस करने का। रंगो से नहा कर लड़का भी टोली में कूद गया और फिर डांस के सारे स्टेप(जितने भी उसे आते थे) सब डाल दिए। डान्स बंद हुआ और घर घर जाके होली खेलना शुरू हुआ। लड़का भी टोली के साथ उसके घर गया।
पहली बार किसी परी को इतनी करीब से देखा था उसने। लड़की ने रंग नहीं खेला था पर लड़के की हिम्मत भी नहीं हुई के उसे रंग लगा दे.. होली के दिन तो सब माफ़ ही होता है पर वो चाह के भी नहीं कर सका.. शायद उसके प्रति उसका सम्मान.. उसका प्रेम… या जो कुछ भी था बहुत पवित्र था होली जैसा पवित्र। आज उसे खिलखिलाके हस्ते हुए देखा। पिछले 18 साल में इतनी ख़ुशी नहीं मिली जितनी के उस 18 मिनट में।
समय बिताता गया.. कुछ ही दिनों बाद किस्मत से बात होना शुरू हुई। दोनों ही एक दूसरे के प्रेम में थे इज़हार बाकी था। दोनों छुप छुप के बाते किया करते थे वो लड़के को Hero बुलाया करती थी और लड़का उसको Honey..
(लड़का जानता था Without ‘Her’👓, even a HER0 is a 0..
(लड़का जानता था Without ‘Her’👓, even a HER0 is a 0..
वही मधुर स्मृतियाँ अब इस जीवन का सर्वस्व हैं। दोनों रात को सब की नजरें बचाकर मिलते और हवाई किले बनाते। इससे कोई यह न समझे कि उनके मन में पाप था, कदापि नहीं। उनके बीच में एक भी ऐसा शब्द, एक भी ऐसा संकेत न आने पाता, जो एक दूसरों के सामने न कर सकते, जो उचित सीमा के बाहर होते। एक-दूसरे की परेशानी में दोनों एक दूसरों के सवालों के जवाब चुप्पियों में ढूँढ़ते थे शायद कहीं पे अक्ल कम आये मेरी या शायद कहीं पर उसका बचपना.. के शायद वो ढूंढ़ ले कोई जीने का तरीका के शायद मुझे भी नयी राह मिल जाये.. वो हँसती रहती थी के दुःख सीमाओं में रहे.. ये शुरु से उसकी आदत थी के जब दुःख ज्यादा ही बड़ा बनता है वो उसकी खिल्ली उड़ा देती है….
लड़के की वो “होली” सबसे रंग बिरंगी और अंतिम होली थी। 6 वर्ष बीत गए लड़की के घर पे उसकी आखिरी होली है(मोलाहल्ले के लौंडो का प्यार अकसर कोई डॉक्टर या इंजिनियर उठाकर ले जाते हैं)। प्रेम तो अब भी उतना ही पवित्र है जितना पहली नज़र में देखते ही हुआ था। धड़कने सच में थम गयी थी उस वक़्त…
एक वादा माँगा था उसने एक दूसरे को ताउम्र प्रेम करने का.. दोनों उसपे कायम हैं। उसके साथ वो पहली और अंतिम होली थी। और वो पहला और आखिरी प्रेम..
Happy Holy 😊