साइक्लोन मोंथा के बाद 18 राज्यों में भारी बारिश का खतरा, पूर्वी भारत में 21 सेमी से अधिक बारिश की चेतावनी

  • घर
  • /
  • साइक्लोन मोंथा के बाद 18 राज्यों में भारी बारिश का खतरा, पूर्वी भारत में 21 सेमी से अधिक बारिश की चेतावनी
30 अक्तू॰
साइक्लोन मोंथा के बाद 18 राज्यों में भारी बारिश का खतरा, पूर्वी भारत में 21 सेमी से अधिक बारिश की चेतावनी

जब साइक्लोन मोंथा ने 30 अक्टूबर, 2025 को आंध्र प्रदेश के काकिनाडा के पास तट पर धमाकेदार लैंडफॉल किया, तो लोगों ने सोचा कि सब कुछ खत्म हो गया। लेकिन असली खतरा तब शुरू हुआ, जब यह तूफान धीरे-धीरे कमजोर होकर भी भारत के 18 राज्यों में बारिश की एक भयानक लहर लेकर आया। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने दोपहर 1:15 बजे जारी चेतावनी में कहा कि अगले 48 घंटों में पूर्वी भारत में 21 सेमी से अधिक बारिश हो सकती है — ऐसा कि बारिश के बाद बाढ़ के डर से लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पाएंगे।

क्या हुआ था और कहाँ खतरा बढ़ रहा है?

साइक्लोन मोंथा का बर्फीला शरीर तो समुद्र में खो गया, लेकिन उसकी बारिश की चादर अब पूरे पूर्वी भारत को ढक रही है। उत्तरी बंगाल और सिक्किम के लिए 31 अक्टूबर को अत्यधिक भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है — जहाँ कुछ जगहों पर एक दिन में 21 सेमी से अधिक बारिश होने की संभावना है। ये वही इलाके हैं जहाँ पहले ही नदियाँ बर्बर तरीके से बह रही हैं। बिहार में भी अगले दो दिनों तक अलग-अलग जगहों पर बहुत भारी बारिश का अनुमान है। जबकि तेलंगाना और तमिलनाडु में बिजली के झटके और 50 किमी/घंटा तक की तूफानी हवाएँ चल रही हैं।

केंद्रीय भारत में भी खतरा खत्म नहीं हुआ। मध्य प्रदेश के पूर्वी हिस्से में आज और कल तूफानी बारिश की उम्मीद है। मराठवाड़ा, सौराष्ट्र और कच्छ में अलग-अलग जगहों पर बहुत भारी बारिश की संभावना है। यहाँ तक कि दिल्ली-एनसीआर में भी बादल घिरे हुए हैं, और तापमान 29°C तक रहने का अनुमान है — जो अक्टूबर के अंत में बेहद अजीब है।

क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?

�ॉ. मृतंजय मोहपात्रा, IMD के महानिदेशक, ने कहा कि "अभी भी अरब सागर के पूर्वी केंद्रीय हिस्से में एक अवनमन है, और विदर्भ के पूर्वी हिस्से में एक अच्छी तरह से विकसित निम्न दबाव क्षेत्र है।" यानी तूफान का शरीर तो गायब हो गया, लेकिन उसकी ऊर्जा अभी भी हवा और बारिश के रूप में जीवित है। इसी वजह से विशेषज्ञ अब "परिणामस्वरूप बारिश" की बात कर रहे हैं — न कि सीधे साइक्लोन की।

यह बारिश बस एक दिन की नहीं, बल्कि एक सप्ताह तक चलने वाली है। अगले 5-7 दिनों तक पूर्वी और केंद्रीय भारत में तापमान में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा। यह अक्टूबर के अंत में असामान्य है। आमतौर पर इस समय दिल्ली में दिन का तापमान 25°C के आसपास होता है, लेकिन अब यह 31°C तक पहुँच सकता है — बारिश के बाद भी। गर्मी और नमी का यह खतरनाक मिश्रण बीमारियों के लिए बढ़िया माहौल बना रहा है।

क्या लोगों को नुकसान हुआ है?

जवाब हाँ है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने आज बताया कि तूफान के कारण अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन यह आँकड़ा अभी अधूरा है। जहाँ बारिश शुरू हुई, वहाँ घरों के छत उड़ गए, खेत डूब गए, और सड़कें बह गईं। बिहार के कुछ जिलों में लोग अब छतों पर फंसे हुए हैं। राज्य सरकारें अभी भी अपने बचाव योजनाओं को तैयार कर रही हैं।

कुछ जगहों पर बारिश के बाद बिजली चली गई है। कई गाँवों में आपातकालीन संचार बंद है। अगर आज रात तक बारिश बंद नहीं हुई, तो अगले दिन जल्दी से बचाव कार्य शुरू करना होगा। अन्यथा बाढ़ के बाद बीमारियाँ फैलने लगेंगी — डेंगू, पेचिश, पीलिया।

अगला क्या होगा?

अगला क्या होगा?

IMD का कहना है कि 1 नवंबर, 2025 से मौसम धीरे-धीरे सुधरने लगेगा। लेकिन यह बात बहुत बड़ी है — अगर बारिश बंद हो गई, तो भी बाढ़ का खतरा खत्म नहीं होगा। नदियाँ अभी भी बह रही हैं। नालों में पानी भरा हुआ है। बारिश के बाद जो बाढ़ आती है, वो अक्सर ज्यादा खतरनाक होती है।

मध्य प्रदेश में अगले पाँच दिनों तक बिजली के झटके और बारिश की संभावना बनी रहेगी। यह एक ऐसा वातावरण है जहाँ लोग न तो बाहर जा सकते हैं, न ही घर में आराम से सो सकते हैं।

इतिहास का संदर्भ

2023 में साइक्लोन फानी ने ओडिशा और पश्चिम बंगाल में 88 लोगों की जान ले ली थी। उस समय भी IMD ने अलग-अलग चेतावनियाँ जारी की थीं। लेकिन जब बारिश शुरू हुई, तो राज्यों ने बचाव कार्यों को अनदेखा कर दिया। इस बार अगर यही गलती दोहराई जाती है, तो नुकसान और बढ़ सकता है।

2021 में साइक्लोन यास ने भी बंगाल की खाड़ी के तट पर भारी नुकसान पहुँचाया था। उस बार भी बारिश के बाद बाढ़ ने सब कुछ बहा दिया था। लेकिन अब तक कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है — न तो ड्रेनेज सिस्टम में, न ही आपातकालीन योजनाओं में।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या बिहार और पश्चिम बंगाल में बाढ़ का खतरा है?

हाँ, बिहार के कई जिलों — जैसे मुंगेर, भागलपुर, और पूर्वी चंपारण — में बाढ़ का खतरा बहुत अधिक है। IMD के अनुसार, 30-31 अक्टूबर को यहाँ अलग-अलग जगहों पर 15-20 सेमी बारिश हो सकती है। जिन नदियों का पानी पहले से बढ़ चुका है, वे अब बर्बर तरीके से बहने लगेंगी। जिला प्रशासन को तैयार रहना होगा।

क्या दिल्ली में भी बारिश होगी?

दिल्ली में अभी भारी बारिश की उम्मीद नहीं है, लेकिन बादल घिरे हुए हैं और हल्की बारिश हो सकती है। तापमान 29-31°C के बीच रहेगा, जो अक्टूबर के अंत में असामान्य है। नमी बढ़ने से बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। लोगों को घरों में साफ-सफाई बनाए रखनी चाहिए।

क्यों तेलंगाना और तमिलनाडु में तूफानी हवाएँ चल रही हैं?

साइक्लोन मोंथा के बाद भी अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में ऊर्जा का असंतुलन बना हुआ है। इसके कारण दक्षिणी तटों पर तूफानी हवाएँ 40-50 किमी/घंटा तक चल रही हैं। ये हवाएँ खेतों को नुकसान पहुँचा रही हैं और बिजली के खंभों को तोड़ रही हैं।

क्या अगले दिनों में बारिश बंद हो जाएगी?

1 नवंबर से बारिश कम होने लगेगी, लेकिन यह बात अभी अनिश्चित है। IMD के अनुसार, मध्य प्रदेश में अगले पाँच दिनों तक बिजली के झटके और हल्की बारिश की संभावना है। बाढ़ के बाद भी पानी को बहने में कम से कम 7-10 दिन लगते हैं।

क्या इस बार बचाव कार्य पहले की तरह असफल हो जाएंगे?

अभी तक कोई राज्य ने बाढ़ के लिए तैयारी के बारे में सार्वजनिक रूप से बताया है। 2023 और 2021 की तरह अगर राज्य सरकारें देर से एक्शन लेती हैं, तो नुकसान बढ़ेगा। लोगों को अपने घरों के आसपास नालियों को साफ करना चाहिए, और आपातकालीन आपूर्ति तैयार रखनी चाहिए।

क्या इस बारिश का संबंध जलवायु परिवर्तन से है?

हाँ। वैज्ञानिकों का कहना है कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के पानी का तापमान पिछले 15 वर्षों में 1.5°C बढ़ गया है। इससे तूफान ज्यादा तीव्र हो रहे हैं और बारिश ज्यादा लंबी चल रही है। साइक्लोन मोंथा के बाद भी बारिश जारी रहना इसी नए वास्तविकता का हिस्सा है।