रणवीर सिंह और वाणी कपूर को लेकर फ्रांस के पैरिस में फरवरी के करीब ‘बेफिक्रे’ की शूटिंग शुरू हुई थी. अब शूटिंग खत्म हो चुकी है. अब 9 दिसंबर को ये रिलीज भी होने वाली है. भारतीय सिनेमा के लिहाज से ये बहुत विशेष फिल्म साबित हो सकती है.
इसके कई कारण हैं:
इसके कई कारण हैं:
1. इसका निर्देशन आदित्य चोपड़ा ने किया है. जिन्होंने 21 साल में सिर्फ तीन फिल्मों का निर्देशन किया और तीनों सुपरहिट रहीं. अब वे सात साल बाद निर्देशन में लौट रहे हैं ‘बेफिक्रे’ के साथ.
2. यश चोपड़ा के बेटे और यशराज फिल्म्स जैसे बड़े स्टूडियो के कर्ता-धर्ता आदि की पहली फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ (1995) थी जिसने हिंदुस्तानी सिनेमा को हमेशा के लिए बदल दिया था. उस फिल्म ने प्रेमियों को प्रेम करना सिखाया और ये भी कि घर से भागो मत, पेरेंट्स की रज़ामंदी से ही शादी करो. इसके अलावा शादी के बाद विदेश जाने की रस्म भी उन्होंने एक खास तरह से स्थापित की. आदि की पहली फिल्म दो दशक तक सिनेमाघरों में लगी रही. ऐसा कीर्तिमान किसी के पास नहीं है.
3. ‘बेफिक्रे’ बनाने का फैसला उन्होंने यूं ही नहीं लिया है. वे इस फिल्म को मुनाफे के लिए भी नहीं बना रहे. ये कोई बड़े बजट की फिल्म भी नहीं है. इसमें बॉलीवुड वाले तमाम मसाले भी नहीं हैं. इसमें वे कुछ नया करने वाले हैं जो उनके खुद के लिए बेचैनी भरी बात है.
4. अपने पिता यश चोपड़ा के जन्मदिन पर सितंबर 2015 में जब आदि ने इस फिल्म की घोषणा की तो उन्होंने कई ऐसे संकेत किए थे जिससे जान सकते हैं कि इस प्रयास क्या होगा.
5. पिता के गुजरने के तीन साल बाद उन्होंने इसकी घोषणा करते हुए लिखा कि जीवन में हर फैसले से पहले पिता वो आदमी थे जिनसे वे पूछते थे और फैसला लेना आसान हो जाता था. अब जब वे नहीं है तो भी वे उन्हें सोचकर और उनके साथ एक काल्पनिक वार्तालाप करके ये बड़ा फैसला ले रहे हैं.
6. उनकी अपने पिता से काल्पनिक वार्ता कुछ यूं थी:
आदि: डैड मैंने अपनी उस फिल्म की स्क्रिप्ट पूरी कर ली है जिसे आगे डायरेक्ट करना चाहता हूं लेकिन मुझे नहीं पता आप इससे खुश होंगे कि नहीं.डैड: तुम्हे ऐसा क्यों लगता है?आदि: क्योंकि आपने हमेशा चाहा है कि मैं यशराज फिल्म्स की सबसे बड़ी फिल्में ही डायरेक्ट करूं और ये फिल्म वैसी नहीं है.डैड: तो तुम ये कह रहे हो कि इस फिल्म में वो संभावना नहीं है कि तुम्हारी पिछली फिल्मों के जितनी सफल हो सके?आदि: शायद नहीं.डैड: तो तुम इसे क्यों बनाना चाहते हो?आदि: क्योंकि मैं इस फिल्म के प्यार में पड़ गया हूं. मैंने मज़े के लिए ही इसे लिखना शुरू किया था वो भी तब जब मैं अपनी सबसे महत्वाकांक्षी फिल्म की स्क्रिप्ट लिख रहा था. मैंने सोचा था कि इस फिल्म (बेफिक्रे) को अपने किसी डायरेक्टर को दे दूंगा और मैं सिर्फ प्रोड्यूस करूंगा. लेकिन मैंने इसे लिखते हुए इतना एंजॉय किया कि आधे रस्ते में ही सोच लिया कि मैं ख़ुद ही इसे डायरेक्ट करूंगा.डैड: इसके बारे में तुम्हे इतना क्या उत्साहित करता है?आदि: अब तक मैंने जितनी भी फिल्में डायरेक्ट की हैं उनसे ये बहुत ही अलग है. पहले मैंने जो फिल्में लिखीं या डायरेक्ट कीं वो इंटेंस, ड्रामा भरी और इमोशनल थी. ये बस हल्की फुल्की रोमांस वाली फिल्म है, इससे ज्यादा कुछ नहीं. ये मेरी सबसे खुश फिल्म है. मेरी सबसे जवान फिल्म है. मेरी सबसे जोखिम वाली फिल्म है.डैड: तुम्हे ये परेशान नहीं करता कि ये फिल्म 100 करोड़, 200 करोड़ जैसी कमाई नहीं कर पाएगी?आदि: दरअसल डैड, मैं इसे बनाना चाहता हूं उनमें से एक वजह ये भी है कि मैं ख़ुद को इस भार (बॉक्स ऑफिस) से आज़ाद करना चाहता हूं. मैं बस कमाई के आंकड़े ही नहीं बढ़ाते रहना चाहता हूं, मैं अपनी फिल्मों को बेहतर करते रहना चाहता हूं. मैं वो बनाना चाहता हूं जिसमें मुझे खुशी मिले और मैं आश्वस्त हूं कि अगर मैं वो करूंगा तो कमाई अपने आप हो जाएगी.डैड: मैं तुम्हे एक राज़ की बात बताता हूं बेटा. भले ही मैं ऐसा निर्माता लगता हूं जो सिर्फ बड़ी फिल्में बनाने में यकीन रखता होगा लेकिन एक फिल्मकार के तौर पर मैंने हमेशा अपने अंदर के जोखिम लेने वाले इंसान को समर्थन किया है. पूरी जिंदगी मैं उन फिल्मों को बनाकर सबसे ज्यादा खुश हो पाया हूं जिनमें मैंने सबसे बड़ा जोखिम लिया है. कुछ फिल्मों ने अच्छा किया, कुछ ने नहीं किया. लेकिन उन सब फिल्मों ने मुझे एक बेहतर फिल्मकार बनाया और आश्चर्य है कि एक बड़ा फिल्मकार भी बनाया. तो आज तुम्हे मेरी सलाह यही है जो मैंने ख़ुद से भी सदा कही है – आगे बढ़ो और वो फिल्म बनाओ जिससे तुम प्यार करते हो, लेकिन उसे अपने पूरे भरोसे के साथ बनाओ और निडरता के साथ बनाओ – ‘बेफिक़र हो के’.
पिता-पुत्र की ये बातचीत और अपनी फिल्म को लेकर जुनून का यह वैसा ही दुहराव है जो ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ बनाने से पहले भी हुआ था.
अब बातों को छोड़ें और तथ्यों पर आएं तो ‘बेफिक्रे’ की कई झलक आ चुकी हैं और एक गाना भी आया है. इन सबसे उस नएपन की पुष्टि भी होती है. फिल्म के हरेक पोस्टर में रणवीर सिंह और वाणी कपूर लिपलॉक करते दिख रहे हैं. अब तक बॉलीवुड में होठ पर होठ के चुंबन का इस्तेमाल उत्तेजना जगाने को, रोकड़ा भुनाने के लिए किया जाता रहा है. लेकिन इस फिल्म के साथ उस नजरिए को बदला जाएगा.
जैसे फिल्म के पहले गाने ‘लबों का कबूतर’ के साथ जो वीडियो रिलीज किया गया है इसमें पैरिस में बहुत से कपल आलिंगन और चुंबन लेते हुए दिख रहे हैं. सबसे खास है कि इसका विवरण और नजरिया जो फिल्म का नजरिया भी है. ये नजरिया कहता है:
# इस सब की (प्रेम की) शुरुआत एक kiss से ही होती है. (ये ‘बेफिक्रे’ की एक टैगलाइन भी है).
# kiss एक यात्रा है.
# ये आपको उत्साहित कर देती है, तरोताज़ा कर देती है.
# ये कोई सीमाएं नहीं देखती. Kiss की कोई उम्र नहीं होती.
# Kiss रंग भर देती है. ये बचाव का रास्ता भी है. खुशी का झूला है.
# ये आपको विराम देती है. ये एक एडवेंचर है.
# ये आज़ादी है. ये सारे नियम तोड़ती है.
# kiss को कोई झिझक नहीं होती.
# ये हमेशा के लिए होती है. इसमें कोई शर्त नहीं होती.
# ये आपका फैसला होती है.
# kiss आपको कभी नहीं छोड़ती.
# ये आपको ढूंढ़ लेती है. आपकी आंखें खोल देती है.
# ये कोई भाषा नहीं जानती.
# एक kiss हर प्रेम कहानी की शुरुआत होती है.
# Kiss बेफिक्र करो, प्यार बेफिक्र करो, जियो बेफिक्र.
ऐसा लगता है कि आदि अपनी इस फिल्म से आलिंगन, पप्पी, यौन संबंधों को लेकर जो वर्जनाएं और शर्म की भावना बांध दी गई हैं उसे खोल देंगे. ऐसा होता है तो ये नई शुरुआत होगी. खास यह भी है कि ऐसा करते हुए कोई बाज़ार और कमर्शियल फायदा एजेंडे में नहीं होगा. साल के अंत में रिलीज के दौरान इसकी तस्दीक हो पाएगी.
फिल्म की अब तक की झलकियां:
‘बेफिक्रे’ का पहला ऑडियो सॉन्ग:
फिल्म का संगीत विशाल और शेखर ने तैयार किया है. इसके गीत लिखे हैं जयदीप साहनी ने. इस पहले गाने को पैपों ने गाया है.
सोमवार रात, 10 अक्टूबर को फिल्म का पहला ट्रेलर भी रिलीज कर दिया गया है. जैसे DDLJ प्यार के मामले में कस्बाई दर्शकों के लिए भगवद्गीता साबित हुई, वैसे हीबेफिक्रे भी भारतीय दर्शकों को लव करने के मामले में नई वैल्यूज देती लग रही है. ऐसी वैल्यूज़ जो अभी वेस्टर्न फिल्मों में ही देखने को मिलती हैं. आदित्य चोपड़ा जैसे डायरेक्टर की फिल्म में ये होंगी तो करोड़ों तक पहुंचेंगी. उन दर्शकों को मनोरंजन के बहाने आज़ाद ख़याली मिलेगी.
ट्रेलर के अंतिम संवाद में वाणी जब एक लड़के (अपने प्रेमी?) को जाते हुए देख रही होती है तो रणवीर सिंह का पात्र कहता है, पलटने नहीं वाला. तो वो कहती है, पलटने का वेट तो 90 (के दशक) में करते थे लोग, I was just checking out his arse.
ट्रेलर देखें:
वाणी के होठों के नीचे का हिस्सा अटपटा लग रहा है. ऐसा शुद्ध देसी रोमैंस में नहीं था. जैसे सर्जरी का असर है. अनुष्का शर्मा के बाद वे यशराज फिल्म्स की दूसरी ऐसी खोज है जो मनोरंजन उद्योग में ज्यादा saleable उत्पाद बनने और स्वीकारे जाने की डिमांड के आगे हार गई हैं.