
कांग्रेस: भारतीय राजनीति की बुनियाद और आज की भूमिका
जब हम "कांग्रेस" शब्द सुनते हैं, तो अक्सर स्वतंत्रता संग्राम की गूँज, गांधीजी की बातें और नहरों की तस्वीर याद आती है। लेकिन यह सिर्फ पुरानी कहानी नहीं, यह आज भी चुनावों में मतदाता के दिलों में जगह रखती है। इस लेख में हम समझेंगे कि कांग्रेस कैसे बनी, कौन‑कौन से मोड़ पर बदली, और आज के राजनैतिक मैदान में उसका क्या प्रभाव है।
इतिहास और प्रमुख कदम
कांग्रेस की जड़ें 1885 में बनीं, जब दलीप सिंह और अलीगढ़ के कुछ शिक्षित लोग ने इसे ब्रिटिश सरकार के खिलाफ एक मंच बनाकर शुरू किया। शुरुआती दौर में यह मुख्य रूप से वकीलों, शिक्षकों और पेशेवर वर्ग का समूह था। 1915 में महात्मा गाँधी ने इसे अपना मुख्य मंच बना लिया, और फिर 1930‑40 के दशक में असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा जैसी बड़ी रणनीतियों से जनता में उम्मीद जगी।
स्वतंत्रता के बाद, 1947 में भारत का पहला प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू बन गए। उनकी नेत्रत्व में कांग्रेस ने विविधता को एक साथ रखने का काम किया – किसानों से लेकर शहरी नौकरीपेशा वर्ग तक। 1964 में नेहरू की मृत्यु के बाद इंदिरा गांधी ने सत्ता संभाली और 1975‑77 में आपातकाल का दौर आया, जब लोकतंत्र की ताकत पर सवाल उठे। यह समय आज भी पार्टी के भीतर बहस का विषय है।
आज की राजनीति में कांग्रेस
अब कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जो सालों की राजनीति से कई बार गिरकर उठी है। 2014 और 2019 के आम चुनावों में पार्टी को भारी हार झेलनी पड़ी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह खत्म हो गई। शिंपीग्राम से लेकर केरल, तमिलनाडु और पश्चिमी बंगाल तक कई राज्य में अभी भी कांग्रेस की मजबूत जड़ें हैं। युवा नेता, जैसे कि राहुल गांधी, अंबारनाथ के उम्मीदवार, या फिर राज्य स्तर पर नई चेहरे, पार्टी को नई ऊर्जा देने की कोशिश कर रहे हैं।
नीति के लिहाज़ से कांग्रेस आज भी समावेशी विकास, श्रमिक वर्ग के अधिकार और कृषि सुधार पर फोकस कर रही है। उन्होंने "नवा भारत" के आश्वासन को उल्टा करके "समानता और न्याय" पर जोर दिया है। यह दृष्टिकोण अक्सर भाजपा की आर्थिक द्वीपकेंद्रीता से विरोध में दिखता है, जिससे मतदाताओं को एक स्पष्ट विकल्प मिलता है।
एक बात ज़रूर कहनी चाहिए – कांग्रेस का भविष्य किस हद तक युवा वोटर को जोड़ेगा, इस पर निर्भर करता है। सोशल मीडिया, डिजिटल कैंपेन और स्थानीय स्तर पर grassroots कार्य अब पार्टी की नई रणनीति बन गए हैं। अगर यह पहलें सतत् रहें, तो कांग्रेस फिर से केंद्र या राज्य स्तर पर मजबूत हो सकती है।
सार में, कांग्रेस एक ऐसी संस्था है जिसने भारत की आज़ादी से लेकर वर्तमान विकास तक कई मोड़ देखे हैं। इतिहास की गहराई, नेताओं की विविधता और नीति के बदलाव इसे एक जटिल लेकिन रोचक कहानी बनाते हैं। चाहे आप उसकी आलोचना करें या समर्थन, यह बात तय है कि कांग्रेस को समझना भारतीय राजनीति को समझने का एक बड़ा पहलू है।
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25 सित॰