इस बार जब मोदी जी वाइट हाउस पहुंचे तो ओबामा घर पर नहीं थे. घंटी बजाई तो वाइट हाउस के सेक्रेटरी ने दरवाजा खोला. उसने लपककर मोदी जी के चरण छुए और सोफे पर बिठा कर अन्दर मिसेज ओबामा को सूचित करने चला गया.
जब उसने मिशेल को बताया कि मोदी जी आये हैं तो उन्होंने मुँह बिचकाते हुए कहा – “फिर आ
गए … ! हुंह ! जाओ जाकर पानी वानी पिलाओ और क्या ?”
सेक्रेटरी पानी लेकर आया, तब तक मोदी जी अपना सूटकेस खोल चुके थे. उसमें से इन्दोरी
नमकीन, बीकानेरी भजिया और भिंड के पेडे के पैकेट निकाल कर देते हुए बोले – “इन्हें भीतर पहुंचा दो, बच्चों के लिए लाया हूँ.”
सेक्रेटरी ने जब भीतर जाकर पैकेट मिशेल के हाथों में दिए तो मजबूरी में उन्हें अपना वो दुपट्टा
ढूंढना पड़ा जिसे एक बार उनकी एक इंडियन फ्रेंड ने गिफ्ट किया था. उसे सिर पर डाल कर वो उस
कमरे में आईं जहां मोदी जी बैठे हुए थे.
औपचारिकतावश हाथ जोड़कर नमस्ते की.
मोदी जी बोले – “जुग जुग जिओ … सदा सुहागन रहो !”
मोदी जी को यूँ अपनेपन से आशीर्वाद देते देख मिशेल को अपने झुक कर प्रणाम न करने पर थोड़ी शर्मिंदगी सी हुई. दुपट्टे को सिर के थोडा और ऊपर खींच कर बोलीं – “ये सब लाने की क्या जरूरत थी ? बच्चे तो वैसे ही इतना पिज्ज़ा-बर्गर खाते रहते हैं.”
मोदी जी ने आत्मीयता भरी डांट लगाते हुए कहा – “कैसी बात करती हो बहू ? जानती हो किसी के घर ख़ाली हाथ जाना शुभ नहीं होता !”
‘बहू’ सुनते ही मिशेल थोडा चौंकीं, पर कुछ बोली नहीं. हाँ, सिर के ऊपर दुपट्टा जरूर एक
बार फिर संभाल लिया.
मोदी जी ने पूछा – “घर में सब कुशल-मंगल तो है ? बराक का कामकाज कैसा चल रहा है ? बच्चों की पढ़ाई-लिखाई वगैरा सब ठीक है न ?”
मोदी जी को यूँ राष्ट्रपति ओबामा को बेतकल्लुफी से सिर्फ ‘बराक’ कहते सुन, मिसेज ओबामा को एक बार फिर हैरत हुई, लेकिन
बोलीं – “हां, सब ठीक ही है…”
मिसेज ओबामा का ये ठंडा सा जवाब सुन कर मोदी जी बोले – “क्या बात है बहू ? कुछ परेशानी है ?”
मिशेल बोलीं – “नहीं, कुछ ख़ास नहीं … सब ठीक ठाक है !”
मोदी जी स्वर में थोड़ी नाराजगी लाते हुए बोले – “तुम्हारी आवाज बता रही है कि कुछ
परेशानी है … बताओ क्या बात है ?
मिसेज ओबामा की आँखों में आंसू छलक आये. रुंधे गले से बोलीं – “वैसी कोई परेशानी नहीं है … धन दौलत शोहरत सब है आपके आशीर्वाद से … पर इनका (ओबामा का) घर पर ध्यान बिलकुल नहीं है ! न मुझे समय देते हैं न बच्चों को … सारी दुनिया के ठेकेदार बन गए हैं … हजारों दुश्मन बना लिए हैं सो अलग … मुझे रात-दिन खटका लगा रहता है, पर मेरी सुनता कौन है ? … मुझे तो लगता है कि मैं एक दिन ऐसे ही चिंता करते करते ..”
“न न बहू !”, मोदी जी बीच में बात ही काट कर बोले, “ऐसा नहीं कहते … तुम बिलकुल चिंता मत करो… मैं बराक से बात करूंगा .. मैं समझाऊँगा उसे !”
मिशेल का मन हुआ कि दौड़कर मोदी जी के चरण छू ले, पर संकोचवश ऐसा नहीं कर पाईं.
तभी मिशेल की दोनों बेटियाँ खेलते-खेलते वहाँ आ पहुँचीं.
मिशेल ने बड़ी बेटी से कहा – “बेटी ज़रा पापा को फ़ोन लगा तो सही, तब तक मैं चाय बनाती हूँ …” “मम्मी, पर क्या बोलूँ पापा को ?”, बेटी ने पूछा.
अब तो मिसेज ओबामा ने खालिस इंडियन बहू की तरह दुपट्टे का घूंघट काढ़ा, और शर्मा कर घर के अन्दर की ओर भागते हुए बोलीं – “और क्या बोलेगी मुई … बोल कि दिल्ली वाले ताऊ जी आये है घर पे ! … जल्दी से आ जाइए
गए … ! हुंह ! जाओ जाकर पानी वानी पिलाओ और क्या ?”
सेक्रेटरी पानी लेकर आया, तब तक मोदी जी अपना सूटकेस खोल चुके थे. उसमें से इन्दोरी
नमकीन, बीकानेरी भजिया और भिंड के पेडे के पैकेट निकाल कर देते हुए बोले – “इन्हें भीतर पहुंचा दो, बच्चों के लिए लाया हूँ.”
सेक्रेटरी ने जब भीतर जाकर पैकेट मिशेल के हाथों में दिए तो मजबूरी में उन्हें अपना वो दुपट्टा
ढूंढना पड़ा जिसे एक बार उनकी एक इंडियन फ्रेंड ने गिफ्ट किया था. उसे सिर पर डाल कर वो उस
कमरे में आईं जहां मोदी जी बैठे हुए थे.
औपचारिकतावश हाथ जोड़कर नमस्ते की.
मोदी जी बोले – “जुग जुग जिओ … सदा सुहागन रहो !”
मोदी जी को यूँ अपनेपन से आशीर्वाद देते देख मिशेल को अपने झुक कर प्रणाम न करने पर थोड़ी शर्मिंदगी सी हुई. दुपट्टे को सिर के थोडा और ऊपर खींच कर बोलीं – “ये सब लाने की क्या जरूरत थी ? बच्चे तो वैसे ही इतना पिज्ज़ा-बर्गर खाते रहते हैं.”
मोदी जी ने आत्मीयता भरी डांट लगाते हुए कहा – “कैसी बात करती हो बहू ? जानती हो किसी के घर ख़ाली हाथ जाना शुभ नहीं होता !”
‘बहू’ सुनते ही मिशेल थोडा चौंकीं, पर कुछ बोली नहीं. हाँ, सिर के ऊपर दुपट्टा जरूर एक
बार फिर संभाल लिया.
मोदी जी ने पूछा – “घर में सब कुशल-मंगल तो है ? बराक का कामकाज कैसा चल रहा है ? बच्चों की पढ़ाई-लिखाई वगैरा सब ठीक है न ?”
मोदी जी को यूँ राष्ट्रपति ओबामा को बेतकल्लुफी से सिर्फ ‘बराक’ कहते सुन, मिसेज ओबामा को एक बार फिर हैरत हुई, लेकिन
बोलीं – “हां, सब ठीक ही है…”
मिसेज ओबामा का ये ठंडा सा जवाब सुन कर मोदी जी बोले – “क्या बात है बहू ? कुछ परेशानी है ?”
मिशेल बोलीं – “नहीं, कुछ ख़ास नहीं … सब ठीक ठाक है !”
मोदी जी स्वर में थोड़ी नाराजगी लाते हुए बोले – “तुम्हारी आवाज बता रही है कि कुछ
परेशानी है … बताओ क्या बात है ?
मिसेज ओबामा की आँखों में आंसू छलक आये. रुंधे गले से बोलीं – “वैसी कोई परेशानी नहीं है … धन दौलत शोहरत सब है आपके आशीर्वाद से … पर इनका (ओबामा का) घर पर ध्यान बिलकुल नहीं है ! न मुझे समय देते हैं न बच्चों को … सारी दुनिया के ठेकेदार बन गए हैं … हजारों दुश्मन बना लिए हैं सो अलग … मुझे रात-दिन खटका लगा रहता है, पर मेरी सुनता कौन है ? … मुझे तो लगता है कि मैं एक दिन ऐसे ही चिंता करते करते ..”
“न न बहू !”, मोदी जी बीच में बात ही काट कर बोले, “ऐसा नहीं कहते … तुम बिलकुल चिंता मत करो… मैं बराक से बात करूंगा .. मैं समझाऊँगा उसे !”
मिशेल का मन हुआ कि दौड़कर मोदी जी के चरण छू ले, पर संकोचवश ऐसा नहीं कर पाईं.
तभी मिशेल की दोनों बेटियाँ खेलते-खेलते वहाँ आ पहुँचीं.
मिशेल ने बड़ी बेटी से कहा – “बेटी ज़रा पापा को फ़ोन लगा तो सही, तब तक मैं चाय बनाती हूँ …” “मम्मी, पर क्या बोलूँ पापा को ?”, बेटी ने पूछा.
अब तो मिसेज ओबामा ने खालिस इंडियन बहू की तरह दुपट्टे का घूंघट काढ़ा, और शर्मा कर घर के अन्दर की ओर भागते हुए बोलीं – “और क्या बोलेगी मुई … बोल कि दिल्ली वाले ताऊ जी आये है घर पे ! … जल्दी से आ जाइए
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